- खीरों गुरूबक्सगंज के दो मामलों में सिर्फ पुलिस, प्रशासन की लचर व्यवस्था पर उठ रहे सवाल!
रायबरेली। जनपद में लगातार जमीनी विवाद के मामलों में मारपीट होना आम बात हो गई। जायज शिकायत कर्ता डीएम से लेकर तहसील प्रशासन व पुलिस की चौखटों के चक्कर काटते काटते थक जाता है, उसे सिर्फ तारीख पर तारीख मिलती है, इस बीच विपक्षी निर्माण के साथ साथ मारपीट की नौबत लाते हुए आपस में मारपीट कर लहूलुहान हो जाते है। कही मामला कोर्ट ने ख़ारिज किया तो कही मुकदमा दर्ज हुआ, पुलिस थक जाती है तो 112 यह कहकर लौट जाती है कि थाने जाओ, अब फोन मत करना, लेकिन बेखौफ भू माफिया कब्जा करने से बाज नहीं आते, क्यों!
हर जगह सिस्टम चलता है। एक ऐसे ही मामले में खीरों थाना क्षेत्र के भीतरगांव में आयुर्वेद चिकित्सालय बगल ग्राम समाज की भूमि पर जबरन जमीन कब्जा में पिछले लंबे समय से दो पक्षों में मुकदमा चल रहा बताया गया, मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां से यह कहकर ख़ारिज हुआ कि जमीन ग्राम पंचायत की है, उसमें लगे पेड़ो का स्वामित्व ग्राम समाज के नाम दर्ज है, बताया जाता है कि उसी ग्राम समाज की जमीन पर अब लगे पेड़ बेचकर कटवाने का प्रयास में आधा पेड़ कटने के बाद रोका गया।
वही जमीन के पीछे निवास कर रहे एक रिटायर्ड फौजी के नाली निकास को बंद करने के प्रयास में मारपीट की नौबत आ गई, जिसमें पूर्व फौजी का पुत्र घायल हुआ, सभी थाने पहुंचे तो मामले पूर्व की 151 के तहत चालन करते हुए एसएचओ ने कहा कि मामला तहसील एसडीएम के भेज दिया गया है। अब सवाल यह कि ग्राम प्रधान लेखपाल ने ग्राम समाज के पेड़ कटवाने पर एक्शन क्यों नहीं लिया यह बड़ा सवाल है। वही हरे पेड़ कटने पर संबंधित वन विभाग ने कहा हम कुछ नहीं कर सकते लेखपाल को सूचित करो।
दूसरे मामले में एक बार मारपीट मुकदमा दर्ज, दोबारा मारपीट कगार पर
रायबरेली। जनपद की सदर तहसील प्रशासन लेखपाल की लापरवाही से खीरों थाना क्षेत्र के रौला पोस्ट सहजौरा की 74 वर्षीय ज़हीदून निशा अपने बेटे के साथ थाना व तहसील प्रशासन के चक्कर काट रही है, बताया जाता है कि सदर तहसील प्रशासन, लेखपाल की लापरवाही से जमीनी विवाद झगड़ों का कारण बनता जा रहा है, पीड़िता की माने तो 2019 में उसके स्व: पति समद ने अकबर अली को जमीन से 160 वर्ग मीटर, 0.016 बेची है जबकि कुल बैनामा/पुस्तैनी की जमीन गाटा संख्या 131 के क्षे.हे. 0128 से 0.064 बैनामा व 0.016 पैतृक दर्ज है। किसी कारण वश तहसील से उसकी जमीन में नाम खतौनी से गायब हो गया। अब तक पीड़ित परिवार नाम दर्ज करवाने के लिए प्रशाशन/लेखपाल को पत्र देखकर नाम दर्ज के लिए चक्कर काट रहा है, पूर्व में रौला के लेखपाल ने पीड़ित से नाम चढ़ाने के नाम पर रकम अर्जित की, लापरवाह लेखपाल अब तहसील में अटैच हो चुके है। अब नए लेखपाल ने वहीं सिस्टम बताया अभी कागजात कम है उन्हें बंदोबस्त कार्यालय से लाओ, ऊपर साहब के माध्यम से होगा, अब तहसील में कागजात देने के बाबजूद मार्क होकर लेखपाल लेकर सिर्फ सिस्टम का इंतजार कर रहे है। अब पीड़ित की माने तो प्रथम लेखपाल पैसा ले गया मै गरीब आदमी हूँ कहा से रुपया लाऊ साहब।
अब पट्टीदारो की जमीन पर नजर, कब्जा के लिए जमीन पर गिराई ईट
रायबरेली। धन्य है सिस्टम का खेल कि अब पीड़ित की बची जमीन पर पड़ोसी कब्जा करने के लिए मारपीट पर उतारू है, यही नहीं बीते दिनों जबरन कब्जा को मना करने पर पीड़ित परिवार को पीटा गया, खीरों पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया तो वहां भी पीड़ित सिस्टम का शिकार हो गया। बड़ी बात यह कि मुकदमा दर्ज बावजूद विपक्षी कब्जा हेतु जमीन पर ईट उतारकर फिर से कब्जा व मारपीट की फिराक में है। ऐसे में पीड़ित को न्याय कहां मिलेगा उसके लिए वह परेशान है। नाम दर्ज करने जाता है तो विपक्षी कब्जे की फिराक में रहते हैं, अगर थाने पहुंचता है तो तहसील जाने को बताया जाता है। यह पूरा मामला खीरों रौला पोस्ट सहजौरा का है, अब मामले में अगर फिर मारपीट होती है तो जिम्मेदार कौन होगा!