Monday, June 16, 2025
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डॉ. राजेश्वर सिंह की चेतावनी: जलवायु संकट पर इन्तजार की सीमा समाप्त, अब कार्रवाई अनिवार्य

  • जलवायु कूटनीति से स्थानीय नवाचार तक: 11 बिन्दुओं में डॉ. सिंह द्वारा पर्यावरण संरक्षण का आह्वान
  • बढ़ते वैश्विक तापमान पर डॉ. राजेश्वर सिंह का संदेश: यह दशक तय करेगा हमारी सदी, लागू हों ठोस प्रयास
  • पर्यावरणीय चिंताएं आज की कठोर वास्तविकता – डॉ. राजेश्वर सिंह

शकील अहमद

लखनऊ। “जलवायु परिवर्तन कोई दूर का खतरा नहीं, बल्कि डेडलाइन पर पहुँच चुका है।” सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने बढ़ते जलवायु संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए एक वैश्विक चेतावनी को रेखांकित किया है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर विधायक ने पोस्ट कर बढ़ते वैश्विक तापमान पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने जलवायु संकट की तात्कालिकता और इसके समाधान के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. सिंह ने बताया कि 2024 भारत का सबसे गर्म वर्ष रहा, जिसमें औसत वार्षिक तापमान 25.75 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिसने 2016 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया। 1991-2020 के औसत की तुलना में 2024 में तापमान विसंगति 0.65 डिग्री सेल्सियस थी, जबकि 2016 में यह 0.54 डिग्री सेल्सियस थी। विशेष रूप से, अक्टूबर 2024 पिछले 123 वर्षों में सबसे गर्म अक्टूबर साबित हुआ।

वैश्विक स्तर पर भी 2024 ने रिकॉर्ड तोड़ा, जब तापमान ने पहली बार पेरिस समझौते की 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार किया। ये आंकड़े केवल संख्याएँ नहीं, बल्कि एक वैश्विक रेड अलर्ट हैं। पिघलते ग्लेशियर, फसल चक्रों का बिगड़ना, जल स्तर का गिरना, विनाशकारी जंगल की आग और जलवायु प्रवास अब भविष्य की चिंताएँ नहीं, बल्कि आज की कठोर वास्तविकताएँ हैं। डॉ. सिंह ने इस संकट को केवल चिंता से नहीं, बल्कि स्मार्ट और व्यवस्थित कार्रवाई से निपटने का आह्वान किया।

डॉ. सिंह ने निम्नलिखित उपायों पर जोर दिया

1. सोलर रूफटॉप, स्मार्ट ग्रिड और हरित इमारतों को बढ़ावा देना।
2. पूर्ण नियोजित शहर, सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देना।
3. टिकाऊ कृषि और सटीक सिंचाई तकनीकों को प्रोत्साहन देना।
4. स्कूली पाठ्यक्रमों और व्यावसायिक प्रशिक्षण में पर्यावरण साक्षरता को शामिल करना।
5. औद्योगिक अपशिष्ट कम करने के लिए परिपत्र अर्थव्यवस्था मॉडल अपनाना।
6. वर्षा जल संचयन, ग्रेवाटर रीसाइक्लिंग और वाटरशेड बहाली के माध्यम से जल-सुरक्षित भविष्य को बढ़ावा देना।
7. एआई-संचालित जलवायु पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में निवेश करना।
8. समुदाय और कॉर्पोरेट स्तरों पर शून्य-अपशिष्ट नीतियों को लागू करना।
9. अंतर्राष्ट्रीय जलवायु कूटनीति और कार्बन ट्रेडिंग ढांचे को मजबूत करना।
10. स्थानीय जलवायु नवाचारों और हरित उद्यमिता को समर्थन देना।
11. वनों, आर्द्रभूमि और जैव विविधता गलियारों को प्राकृतिक जलवायु बफर के रूप में संरक्षित करना।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने चेतावनी भरे अंदाज में अपनी बात समाप्त करते हुए लिखा, “यह दशक अगली सदी का भविष्य तय करेगा। घड़ी अब टिक नहीं रही, वह गरज रही है।” उन्होंने समाज के सभी वर्गों को इस संकट के खिलाफ एकजुट होकर तत्काल और प्रभावी कदम उठाने का आह्वान किया।

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