- क्षेत्र में शिक्षा क्रांति लाने वाले प्रबंधक के निधन से हर आँख नम
पंकज तिवारी
शुकुल बाज़ार, अमेठी। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले प्रबंधक दयानंद गिरी के निधन की खबर से पूरे शुकुल बाज़ार क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। जैसे ही यह समाचार फैला, क्षेत्र के लोग गहरे दुःख में डूब गए। हर व्यक्ति की आंखों में शोक और जुबां पर केवल एक ही बात—”दयानंद गिरी को भुला पाना संभव नहीं।”
1993 से शिक्षा के उत्थान का सफर
सन 1993 में जगदीशपुर से शुकुल बाज़ार आकर उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य आरंभ किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बना। उनकी दूरदृष्टि, समर्पण और नेतृत्व के कारण ही आज शुकुल बाज़ार को “स्कूल बाज़ार” के नाम से जाना जाता है। यह उपाधि स्वयं उनकी मेहनत और संकल्प की गवाही देती है।
श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब
दयानंद गिरी के निवास पर सुबह से ही श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। अभिभावकों से लेकर जनप्रतिनिधियों, क्षेत्रीय नेताओं और शिक्षाविदों तक, हर वर्ग के लोग श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे। उनके कार्यों और योगदान को याद करते हुए हर किसी की आंखें नम दिखीं।
शिक्षा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति
दयानंद गिरी का जाना केवल एक व्यक्ति की विदाई नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है। उनका समर्पण, अनुशासन और सेवा भाव आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।