- दलित बस्ती की बदहाली पर पूर्व विधायक प्रधान पर सख्त, ग्राम प्रधान और अधिकारियों पर उठी उंगलियां
रायबरेली/खीरों। ग्रामीण क्षेत्रों में ईर्ष्या द्वेष की राजनीति विकास में बाधक बनती दिखाई दे रही है, विपक्षियों के लिए विकास के द्वार बंद आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में लड़ाई झगड़ों का कारण बनते हैं, पक्ष विपक्ष की राजनीति में अक्सर जनता पिसती नजर आती है, लेकिन जब जनता जागती है, तो अपने वोट बैंक के बल पर ऐसे लोगों को उखाड़ फेंकती है, कुछ ऐसा ही मामला एक ग्राम सभा में आजकल चर्चा का विषय बना हुआ।
जी हां हम बात कर रहे हैं, विकासखंड खीरो के ग्राम सभा बेहटा सातनपुर की जहां दलित बस्ती की उपेक्षा ने पूरे गांव की हकीकत को उजागर कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट में विकास कार्यों की असलियत को दिखाया गया, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था और ग्राम प्रधान की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
पूरा मामला उस समय सामने आया जब गांव से गुजरते समय पूर्व विधायक राकेश सिंह को ग्रामीणों ने बस्ती की हालत दिखाते हुए बताया कि मौजूदा ग्राम प्रधान रूप नारायण दीक्षित ने बस्ती में कोई काम नहीं कराया। महिलाओं ने भी आरोप लगाया कि प्रधान ने केवल अपने घर और दरवाजे की सजावट पर ध्यान दिया है।
पूर्व विधायक ने तुरंत ग्राम प्रधान को फोन पर फटकार लगाई और रवि के दरवाजे से लखन यादव के दरवाजे तक सड़क बनवाने का निर्देश दिया। आश्चर्य की बात यह रही कि उन्होंने 24 घंटे के भीतर कार्य प्रारंभ करवा दिया, जिससे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।
आरोप: वादों की राजनीति, विकास नदारद, भाई को बना दिया मजदूर
गांव के लोगों का कहना है कि चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करने वाले प्रधान ने बाद में पूरी तरह से अनदेखी की। ग्राम सभा में केवल मनरेगा योजनाओं पर जोर दिया गया, वह भी फर्जी हाजरी और कमीशनखोरी के आरोपों के साथ ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान ने अपने भाई देव नारायण को मजदूर बताकर बिना कार्य किए भुगतान करवा लिया।
गांव के संसाधन, निजी हित में इस्तेमाल, पहले स्वयं हित, बाद में जनता
स्थानीय लोगों ने बताया कि निर्माण सामग्री (ईंट, मौरंग, सीमेंट) को विकास कार्यों की बजाय प्रधान ने अपने घर के प्लास्टर और निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया। इसके अलावा प्रधान के भाई प्रेम नारायण के घर से शिव मंदिर तक इंटरलॉकिंग रोड केवल अपने दरवाजे की शोभा बढ़ाने के लिए बनवाई गई, जिसकी कोई सार्वजनिक आवश्यकता नहीं थी।
शिक्षा का मंदिर नहीं छोड़ा, राजनीति के चलते बाउंड्री वॉल भी अधूरी
ग्राम सभा के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य राहुल ने बताया कि विद्यालय के लिए पूरा बजट स्वीकृत हुआ था, लेकिन प्रधान की लापरवाही के कारण आज तक बाउंड्री वॉल पूरी नहीं बन पाई। आवारा पशुओं की वजह से स्कूल में पौधारोपण भी संभव नहीं हो पा रहा है।
राजनीतिक ईर्ष्या विकास कार्यों में बनी बाधा
पूर्व प्रधान प्रतिनिधि दयाशंकर द्वारा प्रस्तावित सड़क को सिर्फ इस वजह से छोटा करवा दिया गया क्योंकि वहां शुभम शर्मा का घर था, जिन्होंने पिछला ग्राम प्रधान चुनाव विपक्ष में लड़ा था। ग्रामीण इसे राजनीतिक बदले की भावना बता रहे हैं। जबकि गांव की मुख्य गलियों में से एक है जो एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले को जोड़ती है।
नालियों के अभाव से गड्ढों में भरता पानी, जनता त्रस्त
गांव के धुन्नू से दिनेश के घर तक आज भी नाली का निर्माण नहीं हुआ है, जिससे लोग गड्ढा खोदकर उसमें पानी इकट्ठा करते हैं और फिर बाल्टी से बाहर फेंकने को मजबूर हैं। यह स्थिति ग्राम पंचायत की विकास योजनाओं की असफलता को दर्शाती है।
बजट में गड़बड़ी का आरोप, पंचायत भवन कागजों पर ही खड़ा हुआ
“मेरी पंचायत” ऐप पर दर्ज जानकारी के अनुसार, पुराने पंचायत भवन की मरम्मत के नाम पर ₹77,153 का बजट खर्च किया जा चुका है, जबकि पंचायत भवन मौके पर अस्तित्व में ही नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह ग्राम पंचायत अधिकारी और प्रधान की मिलीभगत से हुआ भ्रष्टाचार है।