महराजगंज, रायबरेली। कस्बे के हैदरगढ़ रोड पर स्थित महावीर स्टडी इस्टेट सीनियर सेकेण्ड्री कॉलेज महराजगंज में भगवान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर की जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई। प्रार्थना सभा में प्रधानाचार्य कमल वाजपेई ने बताया कि भगवान महावीर बचपन का नाम वर्धमान का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व बिहार की वैसी के कुण्डा ग्राम में इक्ष्वाकु वंश में राजा सिद्धार्थ तथा रानी त्रिशाला के यहां हुआ।
इनका विवाह यशोदा नमक सुकन्या से संपन्न हुआ। कालान्तर में आपके यहां प्रियदर्शिनी कन्या का जन्म हुआ। आपका साधना काल 12 वर्षों तक चला। श्वेत वस्त्र छोड़कर आप दिगम्बर अवस्था में रहे। अपने समाज को बताया कि सच्चा सुख भौतिक वस्तुओं में न होकर आत्मिक सुख में निहित है। आपके पंचशील सिद्धांत अहिंसा, सत्य अपरिग्रह, अस्तेय, ब्रह्मचर्य थे। आपने दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। सभी के प्रति सदविचार रखें। जो आपको पसंद हो वैसा ही व्योहार दूसरे के साथ करें।
सभी जीवधारियों के प्रति प्रेम तथा क्षमा का भाव रखें। अपने-अपने प्रवचनों में धर्म सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, क्षमा, प्रेम, करुणा,शील, सदाचार पर जोर दिया। आपके विचार आज मानव जाति के लिए प्रकाश स्तंभ है। सभी को महापुरुषों के विचार से प्रेरणा लेकर स्वयं समाज तथा देश का उत्थान करना चाहिए।
इस अवसर पर राजीव मिश्रा, सुरेंद्र प्रजापति, अमरेंद्र प्रजापति, अनिमेष मिश्र, सरिता मिश्रा, नीरू बाजपेई, आलोक, राजकिशोर, लक्ष्मी सिंह, साधना सिंह, फातिमा बानो, नेहा सिंह, ज्योति सिंह, शालिनी सिंह, जयसिंह, राधा शुक्ला, आलोक यादव, ज्योतिज जायसवाल, दिलीप गुप्ता, रामविलास, सौम्या बाजपेई, रामजी, अयोध्या प्रसाद, सुनीता, जगदीश तिवारी, गोमती आदि उपस्थित रहे हैं।