- चंद्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी सोसाइटी के लोगों ने मिलकर स्कूल का किया मरम्मत , स्कूल को विकसित करने हेतु विधायक डॉ राजेश्वर सिंह से मांगा सहयोग
- आर्थिक अभाव के कारण न पीने की व्यवस्था, न शौचालय की व्यवस्था, न हो खेलने की व्यवस्था
शकील अहमद
सरोजनीनगर, लखनऊ। उत्तर प्रदेश योगी सरकार जहां प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान दे रही और स्कूलों के विकास पर ध्यान दे रहीं है , इसी क्रम में सरोजनीनगर विधायक डॉ राजेश्वर सिंह भी स्कूलों में शिक्षा पर बेहतर ध्यान दे रहे। वही अभी भी कुछ स्कूल जैसे टैगोर ज्ञान मंदिर जो कई वर्षों तक पहले लिटरेसी हाउस सोसाइटी द्वारा संचालित हो रहा था, जो करीब 30 वर्षों से दरोगा खेड़ा स्थित चंद्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी में यह स्कूल आर्थिक अभाव के कारण जर्जर व बंद पड़ा था, अभी भी अधूरा है।
चंद्रशेखर आजाद नगर कलोनी सोसाइटी अध्यक्ष डी. बी. सिंह ने बताया कि करीब 30 वर्षों से जर्जर पड़ा टैगोर ज्ञान मदिर स्कूल जो कक्षा 8 तक चलता था, अब इसे पुनः चालू किया जा रहा है, जब की यह इस क्षेत्र का सबसे पुराना स्कूल था। सोमवार बसन्त पंचमी के अवसर पर चंद्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी सोसाइटी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी आशीष खरे कोषाध्यक्ष, राजेश भट्ट सचिव ने मिलकर आज सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया।
जिसमें स्थानीय पार्षद गीता देवी, संजय गुप्ता, मंडल महामंत्री रजनीश श्रीवास्तव एवं कालोनी के गणमान्य नागरिक जे.पी. पान्डेय, अनिल सिंह, संतोष सिंह, राम प्रताप पाल, चंद्रिका प्रसाद यादव, डाः अजीत कुमार, त्रिभुवन राम, एल.डी. भट्ट के उपस्थित रहे। इस मौके पर पदाधिकारियों ने बताया कि स्थानीय नवयुवकों ने मिलकर जर्जर पड़े स्कूल की साफ सफाई की और आपस में चंदा इकट्ठा करके स्कूल का मरम्मत कराया, और वसंत पंचमी के अवसर पर पूजा अर्चना की गई।
टैगोर ज्ञान मंदिर स्कूल को बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा देने हेतु शुरुआत की गई । इसी क्रम में अध्यक्ष डी.बी. सिंह ने बताया कि इस स्कूल को विकसित करने हेतु माननीय विधायक जी प्रार्थना पत्र दिया गया है ,यदि विधायक जी इस स्कूल को विकसित करने में सहायता करे तो स्थानीय लोगों के छात्र और छात्राएं पढ़ सकेंगे और उचित शिक्षा मिल सकेंगी।
क्योंकि इस स्कूल को स्थानीय लोगों ने अथक प्रयास से आपस में मिलकर मरम्मत तो करवा दिया ,परंतु अभी भी आर्थिक अभाव के कारण बच्चों के पढ़ने और खेलने की उचित सुविधा नहीं है, और न ही उचित कक्षाएं स्कूल में उपलब्ध है, न ही पानी पीने और शौचालय की उचित व्यवस्था है। अगर इस पुराने टैगोर ज्ञान मंदिर स्कूल विकसित हो जाता है तो आसपास के हजारों की बड़ी आबादी वाले लोगों के गरीब बच्चे उचित शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।