Saturday, March 15, 2025
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मुख्यमंत्री ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा के सम्मुख स्थित उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि भारत की आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आज पावन जयन्ती है। नेताजी ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से आजादी के आन्दोलन को नई दिशा प्रदान की थी। उनके व्यक्तित्व से राष्ट्र के प्रति निष्ठा का भाव, असीम साहस, वीरता और निःस्वार्थ सेवा की प्रेरणा प्राप्त होती है।मुख्यमंत्री जी आज यहां नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती ‘पराक्रम दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश सरकार व प्रदेशवासियों की ओर से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा के सम्मुख स्थित उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता के अभियान में दिए गए योगदान के कारण प्रत्येक भारतवासी नेताजी के प्रति अत्यन्त श्रद्धा व सम्मान का भाव रखता है।

वर्ष 2021 में नेताजी के इस योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 23 जनवरी की तिथि को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। युवाओं को प्रेरणा प्रदान करने के लिए देश में युवा पखवाड़े का आयोजन किया जाता है। इसके अन्तर्गत स्वामी विवेकानंद की जयन्ती से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कथनी तथा करनी में समानता रखने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया आह्वान मंत्र बन जाता है। देश की आजादी की लड़ाई के दौरान उनके द्वारा किया गया आह्वान कि ’तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ भारत के नागरिकों के लिए मंत्र बन गया था। इस नारे ने युवाओं को देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए अत्यन्त प्रोत्साहित किया।

ब्रिटिश हुकूमत को नेताजी को नजरबंद व कैद करने के लिए विवश होना पड़ा। उन्होंने अंग्रेजों की नजरबंदी से बाहर निकल कर व जर्मनी व जापान सहित दुनिया के अनेक देशों का सहयोग प्राप्त कर, भारत की स्वतंत्रता की मुहिम को आगे बढ़ाया तथा युवा शक्ति को जाग्रत किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब हम सभी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती के कार्यक्रम में सहभागिता कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से युवा पीढ़ी के मन में अनेक प्रश्न उठ रहे होंगे।

हम अक्सर देखते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं के कैरियर के प्रति चिंतित होता है, लेकिन देश व समाज के सामने उपस्थित चुनौतियों को अनदेखा करता है। नेताजी ने उस समय की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा में चयन के बावजूद, ब्रिटिश हुकूमत के अधीन कार्य करने से मना कर दिया। भारत माता की स्वाधीनता के लिए उन्होंने अपनी नौकरी को तिलांजलि दे दी।वह एक ऐसा कालखण्ड था जब साधनों का अभाव था।

देश परतंत्र था। प्लेग जैसी बीमारियां तथा सूखे जैसी अनेक प्राकृतिक आपदाएं थीं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अपने कृत्यों से चुनौती पूर्ण परिस्थितियों में सेवा भाव की मिसाल प्रस्तुत की। युवाओं की टीम के साथ बंगाल सहित देश के अनेक क्षेत्रों में जाकर वह सेवा के अभियान से जुड़े तथा अपनी संवेदना के माध्यम से युवाओं को प्रेरणा प्रदान की। कौन सा व्यक्ति साथ है और कौन सा नहीं, इसकी चिंता किए बिना उन्होंने आजादी के आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान किया।

उनका व्यक्तित्व जाति, मत, मजहब, क्षेत्र तथा भाषा जैसी चुनौतियों से ऊपर उठकर राष्ट्र धर्म के प्रति समर्पित भाव के साथ कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करता है।इस अवसर पर लखनऊ की महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल, विधायक नीरज बोरा व अमरेश कुमार, विधान परिषद सदस्य अवनीश सिंह, रामचन्द्र प्रधान, लाल जी प्रसाद निर्मल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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